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29 Apr 2020 · 1 min read

समय – अबूझ पहेली

समय जब करवट लेता ।
सब कुछ पलट देता ।।

आँखों देखी एक कथा ।
छुपी जिसमे मेरी व्यथा ।।

भीड़ भरी थी एक बाकर ।
अनगिनत थे यहाँ नौकर ।।

आया समय बन अबूझ पहेली ।
ले गया उड़ा कर देखो हवेली ।।

आज बनी हालत उझड ।
देखो पड़ा वहाँ पतझड़ ।।

कभी गूँजती थी किलकारियाँ ।
अब ढूँढे नही मिलती परछाइयाँ ।।

कभी था गर्व से सीना चौड़ा ।
आज समय ने सब तोड़ा ।।

पहले सबको खूब लताड़ा ।
आज समय ने उनको पछाड़ा ।।

जो कभी गगन चूमते थे ।
अपने पर वो इठलाते थे ।।

मखमल ओढ़े थी रातें पूस ।
देखो उगी आज घास फूस ।।

बड़े बड़े जो थे दरवाजे ।
आज करते चूँ चूँ आवाजे ।।

जो थे जल स्त्रोत सुंदर ।
समा रखा था समन्दर ।।

आज उग रहे पेड़ जिन पर ।
बदहाली कहते ,रो रो कर ।।

जो थे बगीचे कभी हरे हरे ।
आम नीम महुआ से भरे भरे ।।

आज देखो सब उजड़ गए ।
अपनी व्यथा किसे सुनाए ।।

समय बड़ा बलवान हैं ।
वही एक कृपा निधान हैं ।।

इसलिए सब कहते है …..!

मानव है, मानव बनकर रहो ।
जो सत्य है, वही सब कहो ।।

समय जब करवट लेता ।
सब कुछ बदल देता ।।
।।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 425 Views
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