समन्दर से भी गहरी
समन्दर से भी गहरी
आंखे तेरी…
उनमें
डूबता उबरता सा मैं
ख्वाब हो
या हो ख्वाहिश
तुम्हारी
उनमें मुब्तिला रहा मैं
हिमांशु Kulshrestha
समन्दर से भी गहरी
आंखे तेरी…
उनमें
डूबता उबरता सा मैं
ख्वाब हो
या हो ख्वाहिश
तुम्हारी
उनमें मुब्तिला रहा मैं
हिमांशु Kulshrestha