Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Nov 2017 · 1 min read

समझ बिन सब गुड़-गोबर !

Bad is worse !
सब गुड़-गोबर !
.
इतिहास गवाह है !
भूल वही
फिर भी दोहराई जाती है !
.
गजनी मोहम्मद से सीखना नहीं,
17वें आक्रमण में जिसे जीत मिली,
तुगलग मोहम्मद की कमी नहीं,
वैसे साक्षर !
हरकतें अनपढ़ों से मेल खाती है !
.
जिसे भी देखिए !
हारकर टूट जाता है,
फरमान अनपढ़ होते है,
गीत साक्षरता के गाते है !
.
बाप की सिर्फ !
इसलिए नहीं सुनी जाती,
क्योंकि वह अनपढ़ है !
दादा को भूल जाते हैं !
जब विरासत कागज़ों से मेल ही नहीं रखती !
@mahender2872

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 1 Comment · 294 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all
You may also like:
आज कल कुछ लोग काम निकलते ही
आज कल कुछ लोग काम निकलते ही
शेखर सिंह
अफ़सोस इतना गहरा नहीं
अफ़सोस इतना गहरा नहीं
हिमांशु Kulshrestha
जीवन शैली का स्वास्थ्य पर प्रभाव
जीवन शैली का स्वास्थ्य पर प्रभाव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
पावस
पावस
लक्ष्मी सिंह
"अश्कों की स्याही"
Dr. Kishan tandon kranti
हाँ, तैयार हूँ मैं
हाँ, तैयार हूँ मैं
gurudeenverma198
ग़ज़ल : रोज़ी रोटी जैसी ये बकवास होगी बाद में
ग़ज़ल : रोज़ी रोटी जैसी ये बकवास होगी बाद में
Nakul Kumar
बदल कर टोपियां अपनी, कहीं भी पहुंच जाते हैं।
बदल कर टोपियां अपनी, कहीं भी पहुंच जाते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*अयोध्या के कण-कण में राम*
*अयोध्या के कण-कण में राम*
Vandna Thakur
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
Dr. Narendra Valmiki
साथ बैठो कुछ पल को
साथ बैठो कुछ पल को
Chitra Bisht
अंतस का तम मिट जाए
अंतस का तम मिट जाए
Shweta Soni
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
DrLakshman Jha Parimal
*सुवासित हैं दिशाऍं सब, सुखद आभास आया है(मुक्तक)*
*सुवासित हैं दिशाऍं सब, सुखद आभास आया है(मुक्तक)*
Ravi Prakash
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
पूर्वार्थ
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
Rituraj shivem verma
जीवन की निरंतरता
जीवन की निरंतरता
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
17== 🌸धोखा 🌸
17== 🌸धोखा 🌸
Mahima shukla
कहां की बात, कहां चली गई,
कहां की बात, कहां चली गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बदलती हवाओं का स्पर्श पाकर कहीं विकराल ना हो जाए।
बदलती हवाओं का स्पर्श पाकर कहीं विकराल ना हो जाए।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
Sunil Maheshwari
3027.*पूर्णिका*
3027.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अक़ीदत से भरे इबादत के 30 दिनों के बाद मिले मसर्रत भरे मुक़द्द
अक़ीदत से भरे इबादत के 30 दिनों के बाद मिले मसर्रत भरे मुक़द्द
*प्रणय*
छम-छम वर्षा
छम-छम वर्षा
surenderpal vaidya
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
Vedha Singh
अकेलापन
अकेलापन
भरत कुमार सोलंकी
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
तुम्हारा स्पर्श
तुम्हारा स्पर्श
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
मेरे दो बेटे हैं
मेरे दो बेटे हैं
Santosh Shrivastava
Loading...