समझौते
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में -आधुनिक होते जा रहे युग में ऐसा लगता है जैसे किताबों ने आत्महत्या की तैयारी कर ली है और उन्हें ये कदम उठाने के लिए मजबूर किया इस छोटे से यन्त्र -मोबाइल ने …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हर व्यक्ति को हर माह एक निश्चित रकम या कुछ राशि अपनी पत्नी को देनी चाहिए ,यकीन मानिये बुरे वक़्त में सबसे पहले वही आपको सहयोग देगी …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की विवाह के बाद हर दम्पति खुश हो-सुखी हो जरूरी तो नहीं क्यूंकि कुछ रिश्ते समझौते मात्र बन कर रह जाते हैं कभी औलाद की खातिर तो कभी इस झूठे समाज की खातिर और कभी अपनी अपूर्ण जिम्मेदारियों के खातिर …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की इंसान से बड़ा खुदगर्ज़ कोई जानवर नहीं क्यूंकि जहाँ हम किसी इंसान की मृत्यु होने पर उसके अंतिम समय प्रयोग में लिए गए गद्दे -तकिये -कपडे तो बाहर फेंक देते हैं पर उसी शरीर पर धारण की हुई अँगूठी -चैन तुरंत उत्तर कर रख लेते हैं …वाह री दुनिया …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान