Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Nov 2016 · 1 min read

समझौता

लड़की,
बीड़ी की
टोकरी लिए
जाती है,
कारख़ाने
रोज़-ब-रोज़ ।
ठेकेदार
घूरता है उसे
श्वान की तरह,
ताकता है,
उसकी देहयष्टि ।
जैसे कि-
लड़की बीड़ी है,
या बीड़ी ही
लड़की है ,
रोज़-ब-रोज़ ।
फिर भी
लड़की बीड़ी
बनाती है,और
टोकरी लिए
जाती है कारख़ाने
रोज़-ब-रोज़ ।
तेंदूपत्ते की गिड्डी
उसके लिए है
जैसे-काग़जों
की रीम ।
जिसमें पढ़ती है
लड़की ग़रीबी
का पाठ और
सीखती है हिसाब
दुनियाँदारी का ,
ठेकेदार की
आँखों में छलकती
वासना ,
गलियों से ग़ुजरते
मनचलों के
अश्लील ताने और
कई बार
फ़ाका-मस्ती झेलकर
वक्त से पहले ही
सयानी हो चली
है, अब लड़की ।
लड़की,जिसके
हाथ में थमना था
स्कूल का बस्ता ,
जिसके गीत से
गूँजना थीं
घर की दीवारें ।
उसे भूख ने
थमा दिए तेंदूपत्ते,
जरदा और टोकरी।
छोकरी फिर भी
प्रसन्न है,क्योंकि-
उसके भाई तो
जाते हैं स्कूल ।
वे पढ़ेंगे ,
अफ़सर बनेंगे
और करायेंगे
उसका व्याह
किसी अम़ीर के साथ ।
इस आशा से
लड़की बीड़ी
बनाती है और
टोकरी लिए
जाती है कारख़ाने
रोज़-ब-रोज़ ।
बाबा उसे
पढ़ा नहीं सकते,
लड़की
पराया धन है
उनकी नज़र में ।
माई उसे खिला
नहीं सकती क्योंकि-
लड़कों को
कम पड़ जाएगा
रोज़ का भोजन ,
फिर भी
उसकी कमाई में
सभी का
हिस्सा है ,
बाबा का ,
माई का और
भाई का ।
इसलिए लड़की
बीड़ी बनाती है
और टोकरी लिए
जाती है कारख़ाने
रोज़-ब-रोज़ ।
मनचलों की
सीटियाँ सुनते हुए ।
बुनते हुए सपने
सुंदर भविष्य के ।

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 1556 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बचपन -- फिर से ???
बचपन -- फिर से ???
Manju Singh
عزت پر یوں آن پڑی تھی
عزت پر یوں آن پڑی تھی
अरशद रसूल बदायूंनी
कभी लौट गालिब देख हिंदुस्तान को क्या हुआ है,
कभी लौट गालिब देख हिंदुस्तान को क्या हुआ है,
शेखर सिंह
मैं उसे पसन्द करता हूं तो जरुरी नहीं कि वो भी मुझे पसन्द करे
मैं उसे पसन्द करता हूं तो जरुरी नहीं कि वो भी मुझे पसन्द करे
Keshav kishor Kumar
"दस्तूर"
Dr. Kishan tandon kranti
बाल दिवस
बाल दिवस
Dr Archana Gupta
निकल पड़ो कभी ऐसे सफर पर भी
निकल पड़ो कभी ऐसे सफर पर भी
Chitra Bisht
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
Neeraj Agarwal
17)”माँ”
17)”माँ”
Sapna Arora
सच है, कठिनाइयां जब भी आती है,
सच है, कठिनाइयां जब भी आती है,
पूर्वार्थ
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
इशरत हिदायत ख़ान
दिल-शिकन वादा-शिकन
दिल-शिकन वादा-शिकन
*प्रणय*
अन्याय करने से ज्यादा बुरा है अन्याय सहना
अन्याय करने से ज्यादा बुरा है अन्याय सहना
Sonam Puneet Dubey
कहूँ तो कैसे कहूँ -
कहूँ तो कैसे कहूँ -
Dr Mukesh 'Aseemit'
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
Omee Bhargava
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
World Hypertension Day
World Hypertension Day
Tushar Jagawat
सुख मिलता है अपनेपन से, भरे हुए परिवार में (गीत )
सुख मिलता है अपनेपन से, भरे हुए परिवार में (गीत )
Ravi Prakash
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आप ही बदल गए
आप ही बदल गए
Pratibha Pandey
3578.💐 *पूर्णिका* 💐
3578.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
रफ़्तार - ए- ज़िंदगी
रफ़्तार - ए- ज़िंदगी
Shyam Sundar Subramanian
कैसे निभाऍं उसको, कैसे करें गुज़ारा।
कैसे निभाऍं उसको, कैसे करें गुज़ारा।
सत्य कुमार प्रेमी
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चांद को छुते हुए जीवन को छुएंगे।
चांद को छुते हुए जीवन को छुएंगे।
जय लगन कुमार हैप्पी
याद हम बनके
याद हम बनके
Dr fauzia Naseem shad
शायद मेरी क़िस्मत में ही लिक्खा था ठोकर खाना
शायद मेरी क़िस्मत में ही लिक्खा था ठोकर खाना
Shweta Soni
ओस
ओस
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
*मोर पंख* ( 12 of 25 )
*मोर पंख* ( 12 of 25 )
Kshma Urmila
Loading...