“””समझा – समझा हारा””(घनाक्षरी)
—————(मनहरण छंद)————
समझा- समझा हारा,उसे अहम था प्यारा।
कभी भी नहीं मैं उसे, अब तो समझाऊंगा।।
मानता नहीं जो बात ,समझे नहीं जज्बात ।
कैसे निभें ऐसा साथ, न अब तो निभाऊंगा।।
उसका अलग है रास्ता ,मुझसे नहीं है वास्ता।
रिश्ता छोड़, मोड रास्ता,अब मै तो आऊंगा।।
दिल तो रोएगा मेरा, छूटा साथ जो है तेरा।।
आया फिर से वह जो ,मैं तो अपनाऊंगा।।
राजेश व्यास अनुनय