समंदर
लगता है समंदर भी है संघर्षशील..
जीवन की आपाधापी में..
समय नहीं है शायद अपने लिए..
जी रहा है उदासी में..
पथरीली चट्टानों से बार बार..
आकर टकराता है..
बंधन तोड़ने के प्रयत्न में..
झाग बन मिट जाता है..
पता नहीं जिंदगी की जद्दोजहद में..
समंदर खारा हो गया..
या फिर मिठास की मरीचिका में
इतना खारापन समेट लिया है..