समंदर की चेतावनी
सागर हूं मैंने प्यार, रहने खाने तुम्हें दिया
नाना रत्न दे तुम्हें, मालामाल किया
बादलों को जल दें, अमृत वर्षा दिया
ताप सारा सोखकर, जहां रहने लायक किया
समंदर हूं मैंने, सब कुछ पचा लिया
बदले में तुमने मुझे, प्रदूषण से भर दिया
प्लास्टिक का कचरा,रसायन से भर दिया
मर रहे हैं मेरे जलीय जीव, नहीं आती तुम्हें दया
जल रहा है अंतस, मैं करूं अब क्या
सावधान मानव तू सावधान हो
अभी है वक्त अपना, अस्तित्व तू ना खो
बिगड़ गई गर सेहत, सीमाएं टूट जाएंगी
न तुम बचोगे न जीवन, धरा ये डूब जाएगी
बिगड़ जाएगा संतुलन, प्रलय धरा पर आएगी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी