सभी यादें दफ़न कर हम नया मन्ज़र सजा देंगे — इश्क़-ए-माही
ग़ज़ल—03
*********
सभी यादें दफ़न कर हम नया मन्ज़र सजा देंगे
फरिश्तों को बना अपना रुहानी दर दिखा देंगे
चले अँगार पर जब जब, हुए हम राख जल यारो
सिमट कर आप ही खुद में उठे कैसे बता देंगे
भरा फ़ूलों से जब दामन हुआ ज़ख़्मी सदा तन मन
चुभे जो शूल हृदय में उन्हें चुन चुन हटा देंगे
सदा उल्फ़त लुटाई है छुपा कर दर्द पहलू में
भरा ग़म से जो दरिया है उसे पीकर सुखा देंगे
ऐ सुन ‘माही’ तेरे दम पर तेरी ‘माही’ ये फूली है
जियें कैसे सदा हँसकर ज़माने को सिखा देंगे
©® डॉ प्रतिभा माही