सभी चले आना
मैय्यत में मेरी तुम सभी चले आना,
भूले से भी ना तुम आँसू बहाना।
ओढ़ाकर सफेद कफ़न लाश को,
मुझे शमशान तक सभी छोड़ आना।।
होंगे उस वक़्त वो मस्ती में मगरूर,
भूले से भी ना उसे तुम ये सुझाना।।
मैय्यत में मेरी तुम सभी चले आना।।
:- मुझसे अलग भी दुनिया है उसकी,
उसे कहो उस दुनिया में खो जाना।
मुझसे प्यारी तो वो खुशियां उसे है,
उसकी खुशियों में न विघ्न अड़ाना।
मैय्यत में मेरी तुम सभी चले आना।।
:- भोर में जब उड़ जाए ये मस्ती उसकी,
“मलिक” की याद ना उसको दिलाना।
कहना थी वो बस एक सपने जैसी,
हँसते हँसते यू ही उसे तुम भुलाना।
मैय्यत में मेरी तुम सभी चले आना।।
:- हुई अब चित्ता की अग्नि शांत तो,
धीरे से तुम उसे ये किस्सा सुनाना।
विघ्न पड़े ना उस बेवफा की खुशी में,
ना बनाना पड़े अब उसे कोई बहाना।
उन्मुक्त गगन में अब स्वछंद विचरे वो,
“सुषमा” ना यू तुम उसे कभी सताना।
मैय्यत में मेरी तुम सभी चले आना।।