सभी आओ यारों ये मिल के दुआ दो।
गज़ल
122…….122…….122…….122
सभी आओ यारों ये मिल के दुआ दो।
जो दुनियां पे संकट के बादल हटा दो।
बहा दो बसंती पवन फिर से ऐसी
के उजड़े चमन में भी गुलशन खिला दो।
रुके दुश्मनी मार औ’र काट सारी,
कोई प्यार का राग जग को सुना दो।
नहीं पंक्षी पशुओं में सीमा का झगड़ा,
तो इंसां को भी पंक्षी पशु ही बना दो।
हे मालिक करो दूर नफ़रत जहां से,
के प्रेमी बने प्रेम सरिता बहा दो।
……..✍️ प्रेमी