सब है खुदको समझे, तीसमारखाँ l
सब है खुदको समझे, तीसमारखाँ l
जो न समझे, उसे जिंदगी गई खा ll
कलयुग जानना है, इतना जान ले l
रूह तन से कहे, पंछी के पर खा ll
कलयुग में शातिरी, इतना जान ले l
हर शातिर, सहज कभी न गया परखा ll
कलयुग में नीचता, इतना जान ले ।
मरने के लिये, रखा, प्यासा, भूखा ।।
कलयुग की मुर्खता, इतना जान ले ।
खुद का बनाया, जहर मजे से चखा ll
कलयुग की वीरता, इतना जान ले l
क्या सामना, बम से जीत गीत लिखा ll
कलयुग सहज चरित्र, इतना जान ले l
सत्य पथ में सहज कहाँ कुछ है रखा ll
कलयुग प्रीत प्रताप, इतना जान ले l
बदल ले, कोई और मिले अनोखा ll
कलयुग की समझ, बस इतना जान ले l
क्या है ज़िंदा रिश्ता, क्या है पुरखा ll
कलयुग का व्यापार, इतना जान ले l
झूठ, कपट, धोखा-धडी भरी बरखा ll
कलयुग में कसम, बस इतना जान ले l
कसम कटेगी, वार रहेगा तीखा ll
अरविन्द व्यास “प्यास”