“सब व्यर्थ, यहीं रह जाना है “
कुछ अनकही, कुछ अनसुनी
है ये जिन्दगी बडी अनबुझी
कुछ अनछुयी , कुछ अनसिली
है ये ज़िंदगी बडी अनसुलझी
कोई कह न पाया ,सुन न पाया
कोई छू न पाया,सिल न पाया
है ये पहेली सी,न ओर न छोर
किस ओर चलूँ , किस ठौर चलूँ
पग भूमि उठा,मन मुदित लिये
फ़िर फ़िर मैं बढ चली उसी डगर,
क्या पाया क्या खोया ,इस जीवन में
सब व्यर्थ यहीं रह जाना है ,
बस श्वाँस लिये जाना है |
…निधि …