सब बिकाऊ है
बिकाऊ है जर जोरू और जमीन यहाँ ,
बिकाऊ है जिंदगी तो मौत भी ग़मगीन यहाँ ।
बिकाऊ रोशनी तो बिकाऊ अँधेरा भी है ,
बिकाऊ सुहानी शाम और सुनहरा सवेरा भी है !
बिकाऊ कलम और कागजात सरे आम यहाँ ।
बिकाऊ यह रास्ता, मंजिलें तमाम यहाँ !
बिकाऊ है आसमान, बिकाऊ दरिया की लहर भी ।
बिकाऊ यहाँ हर गाँव , चमकते शहर भी !
बिक तो जाएँ रूह तक,शरीर की बिसात क्या,
बिक जाएँ जमीर यहाँ, ईमान की बात क्या !
है सभी तैयार अपनी हद से पार जाने को,
इंतज़ार है बस, सही दाम लगाने को।