सब धर्मो का सम्मान
अपना तो एक धर्म है, पर सबका सम्मान
करने में सुख निहित है, भगवन एक समान
भगवन एक समान, छोटा बड़ा न कहिए
संविधान निरपेक्ष, सदा मर्यादा रहिए
कह पाठक कविराय, यही बापू का सपना
अनेकता में एक, भाव दे भारत अपना
अपना तो एक धर्म है, पर सबका सम्मान
करने में सुख निहित है, भगवन एक समान
भगवन एक समान, छोटा बड़ा न कहिए
संविधान निरपेक्ष, सदा मर्यादा रहिए
कह पाठक कविराय, यही बापू का सपना
अनेकता में एक, भाव दे भारत अपना