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11 Dec 2021 · 1 min read

सब ठीक है …

देश की नय्या डोल रही है ,

अराजकता सर चढ़ के बोल रही है ,

महंगाई ने डाला गले में फंदा,

भरष्टाचार ,काला बाजारी ,घुस खोरी ,

बईमानी फल फुल रही है।

जाति -वाद,क्षेत्र वाद।भाषा वाद का शोर

है चारो ओर ,

एकता की आवाज़ कौन सुने !

बकती रहती है।

कोई बात नहीं !

सब ठीक है।

आतंक वाद की दहशत गर्दी ,

ह्त्या ,आगजनी ,गोली बारी, और अपहरण

तो रोज़ की बात है ,

संसद भवन में नेतायों का कुर्सियां तोडना ,

क्या नयी बात है?

और कुछ नहीं हो रहा ,

कोई इन्कलाब नहीं आ रहा ,

मगर रोज़ नए नए वायेदे ,तश्तरी में सजाकर

हमें मिलते हैं ,

क्या यह कोई कम बात है!

हर सुभह का अखबार है नयी सुर्ख़ियों से भरा .

नए नए अपराधों से है यह सजा हुआ।

इसे कहते हैं विभिनता में एकता .

कहाँ देखोगे दुनिया वालो !

ऐसी मिसाल तुम !

वेह्शी ,दरिदे , भेडिये ,

बलात्कारी खुले और बेखौफ

घूमते है .

जब चाहे किसी भी नारी को ,

बहिन ,बहू ,बेटी और माँ को ,

बनाले अपना निशाना .

ऐसी आज़ादी और कहाँ !

भले ही हो जाये हर एक दामन तार तार ,

मगर सब ठीक है।

डोल रही है देश की नय्या ,

मगर डूबी तो नहीं ना !

चल रहा है राम भरोसे ,

सब ठीक है।

Language: Hindi
499 Views
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