सब जी रहे हैं
कुछ सपने बुनकर जी रहे हैं
कुछ अपने बनकर जी रहे हैं
कुछ सड़कों पर ही जी रहे हैं
कुछ जी कर बस पी रहे है।।
खत्म हो जाएगी दुनिया
उनके बिना, चिंता कर रहे हैं
दुनिया टिकी है उनपर ही
कुछ इस वहम में जी रहे हैं।।
आज जो वो कर रहे हैं
दुनिया का पेट भर रहे हैं
अन्नदाता तो हमारे आज
भी भूखे पेट सो रहे हैं।।
कुछ देशों में बरसों से
जो गृह युद्ध चल रहे हैं
वहां के लोग हमेशा
डर के साए में जी रहे हैं।।
फटे कपड़े पहने हुए
नंगे पांव चल रहे हैं
करोड़ों लोग अभी भी
गरीबी में जी रहे हैं।।
किताबें नसीब नहीं उनको
दिनभर काम कर रहें हैं
कुछ बच्चे ऐसे भी है जहां में
जो स्कूल की राह तक रहें है।।
भूखे पेट है घर में बच्चे
खाने का इंतजार कर रहे हैं
ऐसे भी है कई बच्चे जो
भुखमरी का शिकार हो रहे है।।
वो मज़दूर जो पैदल जा रहे हैं
मेहनत कर पसीना बहा रहे है
बचाकर पाई पाई अपनी कमाई से
अपने परिवार का पेट पाल रहे है।।
विस्थापित हो गए अपने घर से
बरसों से गुज़ारिश कर रहे हैं
थक गई उनकी आंखें भी अब
अपने घर जाने की राह तक रहे हैं।।
बहके हुए कुछ नौजवान
जन्नत में कब्र खोद रहे हैं
हथियार लेकर अपने हाथों में
नफ़रत के बीज बो रहे हैं।।
कारोबारी नशे के, पैसों के लिए
हमारे जीवन में ज़हर घोल रहे हैं
बनाकर आदी नशे का बच्चों को
देश के भविष्य से खेल रहे हैं।।
पढ़ाई कर दिन रात जागकर
अपने सपनों को उड़ान दे रहे हैं
बढ़ाकर अपनी दक्षता को
देश के भविष्य को संजो रहे हैं।।
कहकर दिल की बात अपनी
मोहब्बत का इज़हार कर रहे हैं
दुनिया जहां की नहीं कोई फिक्र
वो हर मौसम में प्यार कर रहे हैं।।
वो जो प्यार में खोए हुए है
महबूब की आस में जी रहे हैं
मिलन की आस में प्रियतम के
हर पल जुदाई का दर्द सह रहे हैं।।
हम सब कुछ न कुछ हर पल
अपनी जिंदगी में कर रहे हैं
कृपा है ईश्वर की तभी आज
अपने सपने पूरे कर रहे हैं।।