सब चोर लुटेरे क्या गाऊं
घनघोर अंधेरे क्या गाऊं l
सब चोर लुटेरे क्या गाऊं ll
दुनिया में सपने बिकते हैं l
जेब भी खाली क्या गाऊं ll
तिरंगा भी लहराता हूं l
जन गण मन भी गाता हूं ll
टूटे सपनों का दर्द लिए l
आंसू अपने कहां छुपाऊं ll
जिस पर भी विश्वास किया l
उसने ही छला प्रहार किया ll
प्रजातंत्र में राजा हूं पर l
सेवक तक में पहुंच न पाऊं ll
संजय सिंह सलिल’
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश ll