सब गोलमाल है
दिल के जज़्बातों का यहाँ चला है कारोबार ,
इश्क का सजा बाजार ,यहाँ सब गोलमाल है।
मक्कारों की महफ़िल में हर लफ़्ज़ है फ़साना,
इज्जत का लुटा खजाना , यहाँ सब गोलमाल है।
स्वार्थ की गलियों में भटक गया इंसानियत का दीया,
ईमान का नहीं ठीया , यहाँ सब गोलमाल है।
भ्रष्टाचार की इस दुनिया में, हर शख़्स परेशान,
सरकारी दफ़्तरों की सजी दूकान ,यहाँ सब गोलमाल है।
वोटों की खातिर गिरगिट की तरह रँग बदलते चेहरे,
लोकतंत्र की आड़ में गुंडों के पहरे , यहाँ सब गोलमाल है।
हर शब्द में दर्द छुपा, हर आह में एक दास्ताँ,
‘असीमित दर्द इस दिल में , यहाँ सब गोलमाल है।