सब कुछ आधा-आधा…
चलो मिलकर कर लें,
आज हम एक वादा
क्यों ना अपना बाँट लें,
हम सब कुछ आधा- आधा….
दु:ख भी आधा- आधा,
तो सुख भी आधा- आधा
खुशी भी आधी -आधी,
तो ग़म भी आधा- आधा….
ना तुमसे मुझे शिकवा हो,
ना मुझसे तुम्हें शिकायत
ना तेरे पास रहे कुछ कम,
ना मेरे पास रहे कुछ ज्यादा….
चाहे अलग हो तेरी मंजिल,
या अलग हो मेरे रास्ते
ना मैं पूछूँ आरज़ू तेरी,
ना तुम पूछो मेरा इरादा….
ना तू मुझसे कम रहे
ना मैं रहूँ तुझसे ज्यादा
तुमने गर बेवफाई की तो
वफ़ा का क्यों हो तकादा
जितनी खुशियाँ हिस्से तेरे
जितने ग़म हो हिस्से मेरे
ना तेरे पास कुछ कम रहे
ना मेरे पास कुछ रहे ज्यादा
क्यों ना अपना बाँट लें,
हम सब कुछ आधा- आधा….
-✍️ देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
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