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15 May 2023 · 1 min read

सब्र का पैमाना

सब्र का पैमाना जब झलक जाये……

फिर बताएं कोई… क्या किया जाए……

है सियासत ये सरासर..लोगो..की

अब मुहब्बत को केसे बचया जाये……

कौन खुश है इस जमाने में…

किस तरह हर इस गम को मिटाया जाए

.इस तरह t से तो तोड़ा नहीं जाता ताल्लुक……

हो जरूरी तो हर रिश्ता निभाएं… जाए.

उसके झूट को भी सब…. सच समझेंगे…

अब गवाही के लिए किस को बुलायजाये

वो मेरे दोस्त है.. दुश्मन की तरह

उनके चेहरे से नाकाब अब उतारा जाए

खोल दे जो सारे बंद दरवाजे… दिल के
ऐसा सजदा अब अदा किया जाए

……… शबीनाज़

Language: Hindi
417 Views
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