सबला
सबला
कौन कहता है नारी अबला।
पल-भर में टाले यें हर बला।
कैसी भी हो पथ में बाधा।
त्यागे न यें अपनी मर्यादा।
नारी से ही घर है बसेरा।
बिन इसके भूतो का डेरा।
कोई न जाने मन की थाह।
कब चल दें यें किस राह।
अनभिज्ञ सभी आह से इसकी।
बस मन में ही लेती सिस्की।
बलिदान और दृढ़ प्रतिज्ञा में नही इसका कोई सानी है।
इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण मेरी झाँसीकी रानी है।
सुधा भारद्वाज
विकास नगर उत्तराखण्ड