सबक ज़िंदगी पग-पग देती, इसके खेल निराले हैं।
सबक ज़िंदगी पग-पग देती, इसके खेल निराले हैं।
कभी ख़ुशी कभी दिखाए ग़म, रंग सभी मतवाले हैं।।
इंद्रधनुष-सी कभी ज़िंदगी, बदरंग कभी लगती है।
पल में शोला पल में शबनम, कितने ढंग बदलती है।।
आर. एस. ‘प्रीतम’
सबक ज़िंदगी पग-पग देती, इसके खेल निराले हैं।
कभी ख़ुशी कभी दिखाए ग़म, रंग सभी मतवाले हैं।।
इंद्रधनुष-सी कभी ज़िंदगी, बदरंग कभी लगती है।
पल में शोला पल में शबनम, कितने ढंग बदलती है।।
आर. एस. ‘प्रीतम’