सबक – कहानी
सबक – कहानी
गोलू एक शादीशुदा व्यक्ति है जिसका वास्तविक नाम गोपाल है | घर में सब बचपन से ही उसे प्यार से गोलू पुकारते हैं | जिसके दो बच्चे हैं | घर में पत्नी और दो बच्चों के अलावा माता – पिता भी हैं | गोलू को रोज काम नहीं मिलने के कारण उसकी आमदनी ज्यादा नहीं है | वैसे भी उसे दूसरों का काम करना पसंद नहीं है | वह लम्पट किस्म का आदमी है | उसकी एक बुरी आदत है कि वह बहाने बनाकर लोगों से पैसे उधार लेकर अपने घर को किसी तरह से चलाने की कोशिश करता है | पैसे उधार लेने की आदत में उसकी पत्नी भी बराबर का साथ देती है | उधार ले – लेकर गोलू की पत्नी ने ढेर सारे गहने भी बनवा लिए थे |
उसकी कोशिश होती है कि इसकी टोपी किसी दूसरे के सिर पर और दूसरे की टोपी किसी तीसरे के सिर पर रखकर घर का काम चलाया जाए | उसकी पैसे उधार लेने की आदत ने उसे निकम्मा बना दिया | घर पर कर्ज के पैसे मांगने वालों का आये दिन तांता लगा रहता था | घर के सभी लोग कोई न कोई बहाना बना दिया करते या फिर रोनी सूरत बना लेते ताकि कर्ज न चुकाना पड़े | उनकी रोनी सूरत देख सामने वाले का दिल पसीज जाता और वे बाद में पैसे ले लेंगे कहकर चले जाते | कर्जदार उसके पैसे वापस न करने की आदत से परेशान थे | रिश्तेदारों और बाहर के लोगों में उनकी कोई ख़ास इज्जत न बची थी |
एक दिन एक बाबाजी गोलू को बाजार में मिलते हैं | वे गोलू को बताते हैं कि कल का दिन तेरी जिन्दगी का सबसे स्वर्णिम दिन है | गोलू कहता है – कैसे बाबाजी ? कल क्या होने वाला है ?
बाबाजी कहते हैं कि कल तू जिस भी काम में हाथ डालेगा उससे तेरी जिन्दगी बदल जायेगी | लाखों का फायदा होगा | गोलू पहले तो विश्वास नहीं करता पर घर जाकर वह यह बात उसके दिमाग में बार – बार चक्कर लगाती | जब वह अपनी पत्नी को भी इसके बारे में बताता है तो वह बहुत खुश होती है |
अगले दिन गोलू को बाज़ार में दो आदमी मिलते हैं वे गोलू से कहते हैं कि यदि तुम दो लाख रुपये एक स्कीम में जमा करते हो तो तुम्हें छह महीने में दो लाख के बदले चार लाख मिलेंगे | पर यह स्कीम केवल आज शाम पांच बजे तक के लिए है |
गोलू को बाबाजी की बात याद हो आती है कि कल का दिन तेरे लिए स्वर्णिम दिन है | सो गोलू उनसे शाम को मिलने के लिए कहता है और घर जाकर अपनी पत्नी को दो से चार लाख होने वाली बात बताता है | उसकी पत्नी को भी बाबाजी की बात में विश्वास होने लगता है सो वह अपने पति को अपने सारे गहने दे देती है और कहती है कि जब चार लाख मिलेंगे तब नए गहने बनवा लूंगी | गोलू अपनी पत्नी के सारे गहने बाज़ार में बेच देता है और उससे मिले पैसे स्कीम में लगा देता है और खुश हो जाता है कि छह महीने बाद दो के चार लाख मिल जायेंगे |
दो दिन बाद गोलू को एक – एक करके उसके कर्जदार मिलते हैं और गोलू को रकम वापसी के लिए धन्यवाद देते हैं | गोलू चक्कर में पड़ जाता है कि मैंने तो किसी को कोई रुपये वापस नहीं किये फिर ये लोग क्यों मुझे धन्यवाद कह रहे हैं | फिर भी गोलू इस सबकी बातों को सुन मन ही मन खुश होता है की शायद किसी भले मानुष ने उसका कर्ज उतार दिया होगा | गोलू का सारा परिवार कर्ज उतर जाने की खबर से बहुत खुश होता है और आगे भी लोगों को कैसे बेवकूफ बनाया जाए इस योजना पर काम करने लगता है |
एक सप्ताह बाद अचानक वे दोनों आदमी गोलू को फिर से बाज़ार में दिखाई देते हैं जिन्होंने गोलू के दो लाख रुपये स्कीम में डलवाए थे | गोलू उनको चाय पिलाने के लिए होटल में लेकर जाता है | वे दोनों आदमी गोलू को एक भला मानुष समझ उसके साथ चाय पीने चल देते हैं | पर गोलू के इस व्यवहार के लिए कुछ नहीं बोलते | उलटा पूछ बैठते हैं कि भाई तू कौन है और हमें चाय क्यों पिला रहा है | गोलू कहता है कि भाई अभी एक हफ्ता पहले ही तो तुम दोनों ने दो लाख रुपये एक स्कीम में लगवाये थे | तो गोलू के जवाब में दोनों एक साथ कहते हैं कौन सी स्कीम ? यह सुन गोलू का दिमाग चकरा जाता है | गोलू दोनों को गालियाँ देने लगता है और मारपीट पर उतर आता है | तब दोनों व्यक्ति कहते हैं कि देख भाई | लगता है तू उस बाबाजी के चक्कर में फंस गया | गोले कहता है – क्या मतलब ! तब वे दोनों आदमी बोलते हैं कि वो बाबाजी कोई बाबाजी नहीं हैं वो तो नौटंकी के एक ग्रुप में काम करता है | जिनके तुम कर्जदार हो उस सबने अपना कर्ज वसूल करने के लिए उसे बाबाजी बनाकर तुम्हारे पास भेजा ताकि तुम लालच में आ जाओ और उन सबके पैसे वापस मिल जाएँ | भाई हमारा तो काम ही कर्ज वसूल करना है | इसी बहाने हमें भी अपना घर चलाने के लिए कुछ पैसे मिल जाते हैं | अब तुम जानो और तुम्हारा काम |
गोलू को समझ आ गया कि जिस तरह उसने लोगों को बेवकूफ बनाया उसी तरह उसे भी एक न एक दिन बेवकूफ बनना ही था | अब उसे याद आया कि लोग क्यों उसे कर्ज वापस करने के लिए धन्यवाद दे रहे थे | गोलू को अपने किये पर बहुत पश्चाताप हो रहा था अब उसे “सबक” मिल चुका था | उसने कसम खा ली कि आगे से किसी को भी बेवकूफ नहीं बनाएगा और मेहनत करके रोजी – रोटी चलायेगा |
मौलिक कहानी
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