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10 Jul 2021 · 1 min read

” सबको मैं अपनाता हूँ “

” सबको मैं अपनाता हूँ ”
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
==============

लिखना भी नहीं आता है ,
ना गीत कोई गढ़ पाता हूँ ,

जो मन हमें भा जाता है ,
उसको ही मैं अपनाता हूँ !!

राहों में कितने लोग मिले ,
कुछ साथ रहे कोई चले गए ,

हर लम्हों को आज भी मैं ,
यादों का महल बनाता हूँ !!

जो मन हमें भा जाता है ,
उसको ही मैं अपनाता हूँ !!

खुशियाँ मिलने पे नाच उठे ,
गम को भी अपनाया मैंने ,

है नहीं शिकायत कभी मुझे ,
सबको ही मैं अपनाता हूँ !!

जो मन हमें भा जाता है ,
उसको ही मैं अपनाता हूँ !!

हर हाल में रहना सीख लिया ,
काटों के चुभन को जान लिया ,

फूलों के कोमल स्पंदन से ही ,
दिल को मैं नित बहलाता हूँ !!

जो मन हमें भा जाता है ,
उसको ही मैं अपनाता हूँ !!

===================

डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 276 Views
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