सबको दुनियां और मंजिल भी दिखाता है पिता।
गज़ल- पिता
2122……2122……2122…..212
सबको दुनियां और मंजिल भी दिखाता है पिता।
मेरे सपनों के लिए सब कुछ लुटाता है पिता।
मेरी खुशियों के लिए वो दर्द जितना भी सहे,
पर कभी किंचित नहीं मुझको दिखाता है पिता।
अपने घर परिवार बच्चों के लिए ऐसा भी है,
खुद कई बारी नहीं रोटी भी खाता है पिता।
चाहे जितनी मुश्किलें हों अपने बच्चोें के लिए,
जो भी हो सकता वो सब कुछ दिलाता है पिता।
माँ का प्यारा साथ जब बच्चों को मिल पाता नहीं,
माँ के जैसा प्यार भी खुलकर लुटाता है पिता,
अपने खर्चों के लिए कहता जरूरत क्या मुझे,
बच्चों के खातिर हमेशा कुछ बचाता है पिता।
माँ पिता से ज्यादा प्रेमी कोई हो सकता नहीं,
सबके ऊपर प्रेम का आशीष दाता है पिता।
……..✍️प्रेमी