सबको खुश रख पाना सम्भव है क्या
हर पल सबको खुश रख पाना क्या ये संभव हो सकता है…
तो बेपरवाह होकर जी पाना भी क्या संभव हो सकता है…
जीवन इतना सरल नहीं है अक्सर सभी लोग कहते हैं,
तो क्या बिना जिए मर जाना ये भी संभव हो सकता है…
जीवन बहुत अमूल्य निधि है ज्ञानी जन ऐसा कहते हैं,
इस निधि की कुंजी मिल जाए क्या ये संभव हो सकता है…
जीने कि तरकीब बताने बाले ऋषि कानन में क्यों रहते थे,
बस्ती, रिश्तों, दायित्वों में घिरे सिखाएं क्या ये संभव हो सकता है…
कभी कोई सूरत ही लगती जैसे जीवन लक्ष्य यही है,
पागल को मंजिल मिल जाए क्या ये संभव हो सकता है…
सत्य, न्याय, व राष्ट्रप्रेम तो राजनीति के आभूषण हैं,
शास्त्री बन ताशकंद से जीवित लोटे क्या ये संभव हो सकता है…
कहां, कोन, क्यों और कैसे पहुंच रहा है सोचेंगे तो मर जाएंगे,
भारत मर कर जीवित रह लें शायद संभव हो सकता है…
हर पल सबको खुश रख पाना क्या ये संभव हो सकता है…
तो बेपरवाह होकर जी पाना भी क्या संभव हो सकता है…
भारतेंद्र शर्मा