सबके ही आशियानें।
सबके ही आशियानें रोशनी से झिलमिला रहे हैं।
मेरे घरको बद नसीबी के काले अंधेरे सता रहें हैं।।
खुदाया ऐसी क्या खता हो गई ज़िंदगी में मुझसे।
हर दिल में चश्मे चरागा है हमको गम रुला रहें हैं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
सबके ही आशियानें रोशनी से झिलमिला रहे हैं।
मेरे घरको बद नसीबी के काले अंधेरे सता रहें हैं।।
खुदाया ऐसी क्या खता हो गई ज़िंदगी में मुझसे।
हर दिल में चश्मे चरागा है हमको गम रुला रहें हैं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️