सबके सुख में अपना भी सुकून है
सबके सुख में अपना भी सुकून है
फिर भी लगता है हमसे क्या परी है
ये दुःख संसार में लाजिमी है ‘अमरो’
लगता है हर बार ये सितम आखिरी है
सबके सुख में अपना भी सुकून है
फिर भी लगता है हमसे क्या परी है
ये दुःख संसार में लाजिमी है ‘अमरो’
लगता है हर बार ये सितम आखिरी है