सबका सहारा बनूँगा
सबका सहारा बनूँगा
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आसमां का सितारा बनूँगा,
डूबते का किनारा बनूँगा।
मानव जीवन मिला है मुझे,
दुखियों का सहारा बनूँगा।
मानव का उपकार करूँगा,
भटके को राह दिखाऊंगा।
माता पिता की सेवा करके,
आंखों का तारा बनूँगा।
संविधान का सम्मान करूँगा,
मंजिल तक लेके जाऊंगा।
लोगों की आवाज बनके ,
हक के लिए नारा लगाऊँगा।
ना मैं आवारा बनूँगा,
ना मैं गवाँरा बनूँगा।
शिक्षा की अलख जगाकर,
सबका सहारा बनूँगा।
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रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे“कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822