सफेद चादर
********** सफेद चादर*********
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कभी मत करो किसी का भी निरादर
पल में काली हो जाती है सफेद चादर
अपनों से छोटों से सदैव तुम प्रेम करो
अपनों से बड़ों का करते रहिए आदर
दो दिन की चाँदनी के बाद अंधेरी रातें
कानन में घूमते रहते हैं आवारा वानर
नदियों,झरनों में मिलता है मीठा पानी
खारे पानी से भर कर चलते हैं सागर
उपासक की उपासना काम ना आती
अगर दिल मे हो पाप,लोभ का सागर
मनसीरत कहता रहता दिल की बातें
हमदर्द बन दुख दर्द में रहो तुम हाज़िर
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)