सफेद कपड़े वाले चोर हैं !
संसद में जो कर रहे शोर,
सफेद कपड़े वाले चोर हैं।
इनका कोई दान धर्म नहीं,
ज्ञान का तनिक भी मर्म नहीं।
जनता को वोट बैंक समझते,
पद पाते ही सबको झटकते।
इनकी यादाश बहुत कमजोर है,
पूंजीपतियों से इनका गठजोड़ है।
ये पांच वर्ष में एक बार दिखते,
वोटों के लिए खुद भी बिकते।
ये बेहरूपिये हैं रूप बदलते हैं,
जुमलों से जनता को छलते हैं।
कुर्सी के लिए कुछ भी कर जाएं,
चुनाव जीतने के लिए मर जाएं।
वूसोलों से इनका कोई वास्त नहीं,
सच्चाई वाला इनका रास्ता नहीं।
ये गांधी को भी गाली देते हैं,
गोडसे की वकालत करते हैं।
स्वार्थी है ये कुछ भी करते हैं,
मतलब के लिए दल बदलते हैं।
सत्ता इनकी ही हर वोर है,
हाथों इनके देश की डोर है।
संसद में जो कर रहे शोर,
सफेद कपड़ों वाले चोर हैं।