सफ़ीना छीन कर सुनलो किनारा तुम न पाओगे सफ़ीना छीन कर सुनलो किनारा तुम न पाओगे लहर पत्थर को चाहत की अदाओं से डुबाती हैं आर.एस.’प्रीतम’