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11 Jun 2023 · 1 min read

सफ़र

सफ़र
कोई आता यहाँ हरपल, कोई जाता यहाँ हरपल,
सफ़र ये ज़िन्दगी ऐसी, कोई रुकता कहाँ इकपल।।
गुजर जाता अगर कोई, तनिक पीड़ा भले होती-
समय ही ज़ख्म है देता, वही भरता यहाँ हरपल।।

जिसे अपना यहाँ समझो, वही देता दगा अक्सर,
जरा सा मान जो दे दो, समझ लेता खुदा अक्सर।
दिखावे की जहाँ में तुम, समझ पाओ नहीं तो फिर-
पकड़ उँगली यहाँ गर्दन, जकड़ लेता सदा अक्सर

©पंकज प्रियम

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