सफ़र
यात्राएं अनेक कठिनाईयों से भरा होता हैं, जहां अनेक प्रकार समस्याओं से जुझना होता हैं, समस्याओं से बहुत ही सूझ बूझ से सामना करना होता हैं, नए स्थान शहर में पहली बार जाने पर अनेक प्रकार से स्वयं कठिनाईयों का सामना बहुत ही सोच समझ कर एक एक पग आगे बढ़ाने होते हैं, वह भी तब जब आप बेरोजगार हो, स्थान से अनभिज्ञ हो तो कुछ न कुछ समस्याओं से रूबरु तो होना ही पड़ता हैं, ऐसे समय में व्यक्ति वहा पलायन ही सबसे उचित निष्कर्ष जान कर अपने जान पहचान वाले शहर तरफ़ अग्रसर हो जाता हैं।
जिस अंजान शहर में किसी से परिचय न हो तो वहा से अपने पूर्व निर्धारित स्थान पर आने में भी अनेक मुसीबतों का सामना परोक्ष रूप से करना होता हैं, भोजन से व्यक्ति वंचित रहता हैं, रात्रि विश्राम में अति कठिन शारीरिक यातनाएं सहन करना होता हैं, वह भी शरद ऋतु में जब साथ में कम्बल भी ना हो।
सफ़र में अनेक प्रकार की भाषाओं रहन सहन शैली से व्यक्ति परिचित हो जाता हैं, शहर कोई भी हो अपने यहां के व्यक्तियों से भेट हो ही जाता हैं, आज के बाईसवीं सदी में भी भले इंसान हैं जो एकाध व्यक्तियों की मदत करने जरूर आते हैं, जीवन में अच्छे कर्म, ईमानदारी, दूसरों की मदत किया हुआ, जब व्यक्ति समस्याओं में फसा होता हैं, तो यहीं अच्छे कर्म, ईमानदारी का फल व्यक्ति के मदत करते हैं।
व्यक्ति का आत्म विश्वास दृढ़ हैं तो समस्याएं स्वत: ही तीव्र गामी बन कर नष्ट हो जाती हैं, साहित्य साधना व्यक्ति को दृढ़ संकल्पित, धैर्यवान, चरित्रवान, एवम् समृद्धिवान बनाती हैं, सफ़र का आनन्द भी सफ़र के कठिनाईयों से कई गुना बढ़कर प्राप्त होता हैं, जो व्यक्ति को कठिनाईयों से मिली पीड़ा को हर लेता हैं।