सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
अगर मंज़िल बड़ी है तो यूं दिल छोटा नहीं करते
किसी को हद दिखानी हो तो पहले क़द बढ़ाओ तुम
ज़मीं से आसमानों पर कभी थूका नहीं करते
बुरी आदत की राहों पर कभी चलना नहीं क्योंकि
ख़ुद अपनी लाश अपने आप को सौंपा नहीं करते
यहीं तो फ़र्क़ होता है बड़ों में और बच्चों में
कभी करने से पहले कुछ भी ये सोचा नहीं करते
उसूलों पे जो चलते हैं उन्हीं में बात ये होती
कभी वादा किया तो फिर उसे तोड़ा नहीं करते
समझदारी इसी में है कि पहले जान लो सब कुछ
बिना गहराई जाने झील में उतरा नहीं करते
जॉनी अहमद ‘क़ैस’