सफलता यूं ही नहीं मिल जाती है।
सफलता यूं ही नहीं मिल जाती है,
परीक्षा देनी पड़ती है।
जब मैं गर्भ में था,
मेरी मां ने परीक्षा दी थी।
कुदरत ने उसकी त्याग तपस्या,
और मातृत्व की परीक्षा ली थी।
तब मां ने स्वस्थ और सकुशल,
पुत्र जन्म की बधाई ली थी।
जीवन यूं ही नहीं मिल जाती है,
कुदरत को मन्नत पुजा सेवा देनी पड़ती है।
सफलता यूं ही नहीं। . . . . . .
स्कूल में जैसे हर माह मासिक जांच परीक्षाएं होती है।
वैसे ही जीवन में भी पल पल अनहोनी घटनाएं होती है।
लड़ाई झगडे पुलिस प्रकरण अपराधिक मामले की घटनाएं घटती है।
मां बाप दोस्त यार और अन्य लोगों की ,
सब्र सहन शीलता और इन्सानियत की परीक्षा होती है।
हम आगे यूं ही नहीं बढ़ जाते हैं।
हमारे गलतियों की,
लोगों को माफी देनी पड़ती है।
सफलता यूं ही नहीं . . . . . .
कामयाबी मिलती है,
तो हम अपनी,
काबिलियत का ढिंढोरा पीटते हैं।
हर खेल में मै माहिर हूं,
सामने कैसा भी खिलाड़ी हो,
विजेता हैं हम यारों, हम ही जीतते हैं। अंकुरित अहंकार के बीज को
बड़े प्यार से सींचते हैं।
मैं ही मैं हूं, मैं ही मैं हूं,
का ढोल पीटते हैं।
पर हम भूल जाते हैं।
कितनों की दुआ, कितनों माफी
कितनों की चिंता, कितनों की सपने
कितनों की शिक्षा, कितनों की प्रतीक्षा
कितनों की डांट, कितनों की फटकार मिलती है।
सही रास्ते यूं ही नहीं मिल जाती है।
अनुभवों की समीक्षा देनी पड़ती है।
सफलता यूं ही नहीं . . . . . .