सफलता की चाह
धरा के हर प्राणी की चाह ,
सफलता को लब्ध करना है ,
सफलता वही मनुज लहता ,
जो सफलता की चाह रखता।
असफलता से मत भागों
सफलता की चाह रखो
एक नहीं सदी बार उद्यम करो
सफलता स्वयं समीप आएगीं।
क्षितिज न सम्प्राप्ति पंछी को ,
फिर भी क्षितिज को चाहता पंछी ,
इसी सफलता की चाह में वह ,
शून्य भी परे कर जाता पंछी।
आर्यावर्त के वीर सपूत भी ,
सफलता की चाह मत में लिये ,
भुवन को भुनाना चाहते होंगे ,
इसी सोच, उन्माद, उछाह से ,
आज वह वीर महापुरुष गढ़ें।
सफलता का मार्ग ना सम्प्राप्ति ,
धरा के प्रत्येक मनुजों को है ,
जो रखते हैं सफलता की चाह ,
मार्ग उन्हें सम्प्राप्ति सफलता की।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या