सफलता असफलता के आयाम
डा० अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
सफलता असफलता के आयाम
उदास हुँ निराश नहीं
नाकामियाँ डराती तो हैं,
हताश कर सकती नहीं ||
इन्सान हुँ देवता नहीं
हार सकता हुँ जरूर
मगर कोशिशें छोड दुं मुमकिन ये नहीं ||
असफ्लातायें जीवन के
अंग संग होती हैं सभी के
मुहं मोड्ना मुश्किलों से मेरी आदत नहीं ||
कभी हारा कभी जीता
गिर गिर पडां फिर
उठ कर हुआ खडा
हार जीत से होकर हताश
बैठ जाऊँ ऐसे तो हालात नहीं ||
उदास हुँ निराश नहीं
नाकामियाँ डराती तो हैं,
हताश कर सकती नहीं ||
तुझसे दूर कुछ ही दूर रह गया हुँ
भौतिकता में
एक मौका चाहिये छुने को बस
मौलिकता में ||
इन्सान हुँ देवता नहीं
हार सकता हुँ जरूर
मगर कोशिशें छोड दुं मुमकिन ये नहीं ||
ये पृथ्वी ये आसमान ये सागर
अनन्त हैं सभी मगर
छोटी सी है मेरी गागर
इच्छाओं से जी तो कभी भरता नहीं
जो प्राप्त है वही पर्याप्त है
मेरी साधना बस है यही ||
कभी हारा कभी जीता
गिर गिर पडां फिर
उठ कर हुआ खडा
हार जीत से होकर हताश
बैठ जाऊँ ऐसे तो हालात नहीं ||