सफर जिंदगी का कट ही जाएगा
सफर जिंदगी का कट ही जाएगा
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सफर जिंदगी का कट ही जाएगा,
तमस जिंदगी का मिट ही जाएगा।
पहेली सी बनी है जीवन की चाबी,
मुसीबत भरा बस्ता घट ही जाएगा।
करें क्या भरोसा हम इस जीवन का,
सलिल बुलबुला ये फट ही जाएगा।
बनी कब कहाँ दोस्ती विपदाओं से,
घना कोहरा झट हट ही जाएगा।
कभी आसमां में छंटेगा बादल,
दुखों का वजन तो घट ही जाएगा।
दुखी मन यहाँ मनसीरत का रोता,
खुदा नाम हर पल रट ही जाएगा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)