सफर जारी रखो
मंजिल है अभी दूर सफर जारी रखो ।
है हौसला भरपूर सफर जारी रखो ।।
न सोचो किनारा ही खुद आएगा सामने ।
इस मद में न हो चूर सफर जारी रखो ।।
चिंता चिता समान है बस छोड़ दो इसे ।
सलामत रहेगा नूर सफर जारी रखो ।।
लेकर मशाल चलते रहो राह गुज़र में ।
अंधेरे होंगे काफूर सफर जारी रखो ।।
ओछी नदी इतराती है बरसात के समय ।
उतरता है जल्दी पूर सफर जारी रखो ।।
खुद ही अपना काम जरा करके तो देखो ।
कब आएगा मजदूर सफर जारी रखो ।।
कुत्ते तो राहगीर को भौंकेंगे हर गली ।
आदत से है मजबूर सफर जारी रखो ।।
पहले वो चरण चाटते थे सब हैं जानते ।
अब हो गए हजूर सफर जारी रखो ।।
भुखमरे के हाथ में एक रोटी आ गई ।
बस हो गया मगरूर सफर जारी रखो ।।
✍️सतीश शर्मा ।