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1 Feb 2019 · 1 min read

सफर इन्सानियत का

हे इन्सान
तू इन्सान बन कर
रहना सीख

फरेब , चापलूसी जो
कूट कूट कर भरी है तुझ में
उससे निकल और
इन्सानियत से जीना सीख

ईश्वर ने दिया है
ये मानव शरीर
उसे मानवता और
नेक काम में लगा

तेरे काम ही
तेरी पहचान है
चाहे तो इज्जत
कमा ले
नहीं तो करोड़ों
इन्सान हैं यहाँ पर

Language: Hindi
154 Views
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