सफर आजादी का
कम न हो देशप्रेम का जज़्बा
यह दिलों में बना रहे
शत्रु के षड्यंत्र न हो कामयाब
सतर्क हर एक हो रहना है
इरादे हो हर भारतीय के मजबूत
देशप्रेम की अलख को जलाना है
शत्रु के हर वार पर रहे वो भारी
भगत आजाद लक्ष्मी के बाद
आज हर भारतीय की बारी है
रखना है अक्षय
हिन्दुस्तान की
आजादी को
गद्दारों से इसे बचाना है
देशप्रेम और देशभक्ति की
अलख घर घर
अब तो जगाना है
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल