*सफरनामा*
सफरनामा
दूर देश की यात्रा निकल पड़े घर से,
जरूरी सामानों का बोझ ढोते हुए।
आखिर मंजिल तय कर पहुँचने की जल्दी ,
रास्तों में विध्न बाधाओं को पार करते हुए।
कठिन राहों में न जाने क्या होगा खबर नहीं ,
रूके नही चलते बने कदमों को आगे बढाते हुए।
चाहतों की कश्ती नाव पे सवार होकर ,
ले जायेगी उस पार हिम्मत हौसला बढ़ाते हुए।
मुश्किलों से कभी ना हार मानते हम ,
तूफानों को चीरकर आस का दीप जला दृढ़ विश्वास लिए हुए।
विध्न बाधाओं को दूर करते ईश्वर साथ साथ हो ,
इच्छा शक्ति खींच लाती एक दूसरे के हाथों में हाथ लिए हुए।
चलो अब चलते हैं कठिन राहों पर ,
दुआओं का असर पड़ता है तब राहें आसान बनते हुए।
कहलाता है वही सिकंदर जो बाजी मार ले ,
हार कर भी चेहरे पे मुस्कान ला गुनगुनाते हुए।
शशिकला व्यास✍️
जय श्री राम जय जय हनुमान जी ??