सफरनामा
***सफरनामा***
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सफर में जन्मा हूँ,।
सफर में पला हूँ
सफर कर रहा हूँ,
सफर में पड़ा हूँ।
सफर में चला था,
सफर जी रहा हूँ।
सफर जिन्दगी है,
जिंदगी जी रहा हूँ।
सफर तो बचा है,
अभी थक गया हूँ।
सफ़री खर्चे गए,
सफर बीच में हूँ।
साथी चले गए,
अभी सफर में हूँ।
सफर है खुशनमा,
मैं हंस रहा हूँ।
सफर अनूठा हो,
यत्न कर रहा हूँ।
खुद में व्यस्त हैं,
तन्हा जा रहा हूँ।
मंजिल मिली नहीं,
खूब थक गया हूँ।
हमसफर है नहीं,
सफर कर रहा हूँ।
मनसीरत पथ में,
साथ खोजता हूँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)