सप्तक स्वप्न देखना है जरूरी
स्वप्न देखऩा है जरूरी कुछ नया करने के लिये,
कुछ खोना है जरूरी कुछ पाने के लिये|
हौंसले की ताकत से चलना होगा यहाँ,
असंभव नही है कुछ भी मिलेगा सारी जहाँ|
दिन रात मेहनत करके पाना है वो मुकाम,
नजरें झुका कर दुनिया भीकरे जिसे सलाम|
ठोकरें तो बहुत लगी पर इरादा तो मजबूत था,
पा ही लिया मंजिल को निशाना भी अचूक था|
ढूंढती थी बैचेन निगाहें हर घडी,
खुशियों की वो आहट अब है कानों पडी|
आज करूँ मै वंदना नत शिर बारंबार,
शुकि्रया है देव तेरा जग के तारणहार||
डॉ मीनाक्षी कौशिक रोहतक