सपूत पूत है सदा,ऋणी रहे न मात का।
पंच चामर छंद
सपूत पूत है सदा ,ऋणी रहे न मात का।
कपूत पूत है सदा ,ऋणी रहे न तात का।
अनेक पूत मातु ने, सदा जिया लिया सभी।
सपूत पूत है वही, न आँख से गिरा कभी।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय सीतापुर।
मौलिक रचना।