सपनो के दरवाज़े मे कुण्डी
मै नदियों की तरह बहना चाहता हूँ,
पहाड़ो की तरह निर्भीज्ञ होना चाहता हूँ //
पक्षियों की तरह उड़ना चाहता हूँ,
बच्चो की तरह निश्चिंत होना चाहता हूँ //
झरनो की तरह भयरहित होना चाहता हूँ,
एक साधू की तरह शांतचित्त होना चाहता हूँ //
लेकिन एक बीमारी ने मुझमे पाबन्दी लगा रखी हैँ,
मेरे सपनो के द्वार मे, कुण्डी लगा रखी है //