सपनों की सच्चाई
आज भी मुझे याद आता है,
उनके चेहरे की मुस्कान,
जो हर सुबह बुनती है ,
मेरे सपनों का एक जहान।
एक विश्वास है,
संकल्प की यात्रा का,
जो संग में चलने का,
हर कठिनाई को सहने का।
कुरुतियों से भरा समाज,
लेकिन हमें तोड़ना है बंधन,
एक पंचदेव की आराधना में,
खुद को करना है अर्पित समर्पण।
उत्सुकता का ये आलम,
सपनों की दुनिया है रंगीन,
अब हकीकत में बदल गई,
हमें भी अब निभानी होगी
अपनी यह भूमिका सफर का,
ये कर्तव्य है सबका,
कवि की छांव में,
साथ चलना है, हर पथ पर,
अपनी आवाज़ उठानी है,
जीवन का एक अद्भुत सफर का।
—-श्रीहर्ष—-