Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2017 · 1 min read

सपनों की ओर

हर पल दिल में एक चाह होती है
मंजिल पाने की आह होती है
करते हैं हौसला
मंजिल तक पहुँच पाएंगे,
फिर मंजिल पथ पर चलने लगते हैं
मिली कामयाबी एक तो
हौसले बुलंद हो जाते हैं
कभी रोड़ों को देखकर सोच जाते हैं
क्या सपनो को पूरा कर पाएंगे
तब दिल से एक आह निकलती है
हाँ, बस चाह निकलती है
कभी सोचते हैं
राह मुश्किल है
फिर इतिहास याद करते हैं
मांझी को दिल में रखते हैं
फिर दिल की चाह कहती है
होती नहीं राहें मुश्किल
मुश्किल चलने वाले होते हैं
लभ्य में रोड़े तो आते हैं
पर रोड़ों को देखकर
लक्ष्य नहीं बदले जाते हैं
यह उम्मीद जगा कर ही हम
राह में चल पड़ते हैं
काँटों को रौंद कर
मंजिल हासिल कर लेते हैं।

रचनाकार – नरेश मौर्य

Language: Hindi
1 Like · 314 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

SP56 एक सुधी श्रोता
SP56 एक सुधी श्रोता
Manoj Shrivastava
सत्ता
सत्ता
DrLakshman Jha Parimal
कुदरत का कानून है ...जो करोगे
कुदरत का कानून है ...जो करोगे
shabina. Naaz
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
Rj Anand Prajapati
जोश,जूनून भरपूर है,
जोश,जूनून भरपूर है,
Vaishaligoel
- प्रतिक्षा
- प्रतिक्षा
bharat gehlot
भले नफ़रत हो पर हम प्यार का मौसम समझते हैं.
भले नफ़रत हो पर हम प्यार का मौसम समझते हैं.
Slok maurya "umang"
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
तोड़ सको तो तोड़ दो,
तोड़ सको तो तोड़ दो,
sushil sarna
प्रभु दर्शन
प्रभु दर्शन
Rambali Mishra
*ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ*
*ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हिम्मत का सफर
हिम्मत का सफर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
..
..
*प्रणय*
You may not get everything that you like in your life. That
You may not get everything that you like in your life. That
पूर्वार्थ
क़दमों को जिसने चलना सिखाया, उसे अग्नि जो ग्रास बना गया।
क़दमों को जिसने चलना सिखाया, उसे अग्नि जो ग्रास बना गया।
Manisha Manjari
आज के समाज का यह दस्तूर है,
आज के समाज का यह दस्तूर है,
Ajit Kumar "Karn"
"यादें"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम
प्रेम
Acharya Rama Nand Mandal
एकांत चाहिए
एकांत चाहिए
भरत कुमार सोलंकी
रामजी हमारा एहसान मानते हैं
रामजी हमारा एहसान मानते हैं
Sudhir srivastava
द्रुत विलम्बित छंद (गणतंत्रता दिवस)-'प्यासा
द्रुत विलम्बित छंद (गणतंत्रता दिवस)-'प्यासा"
Vijay kumar Pandey
4565.*पूर्णिका*
4565.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शिक्षा और संस्कार जीवंत जीवन के
शिक्षा और संस्कार जीवंत जीवन के
Neelam Sharma
कुदरत है बड़ी कारसाज
कुदरत है बड़ी कारसाज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रयास जारी रखें
प्रयास जारी रखें
Mahender Singh
दिखता नहीं है कुछ भी,
दिखता नहीं है कुछ भी,
Dr fauzia Naseem shad
ଖେଳନା ହସିଲା
ଖେଳନା ହସିଲା
Otteri Selvakumar
कैसी घड़ी है, कितनी खुशी है
कैसी घड़ी है, कितनी खुशी है
gurudeenverma198
संस्कृतियों का समागम
संस्कृतियों का समागम
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
दिल
दिल
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Loading...